ऐसे है मेरे श्याम – अमित पाठक शाकद्वीपी

सुंदर मुख की अद्भुत ज्योति,
जिमि चन्द्र की उपमा होती।
नयन कमल सम कोमल कोमल
छवि ऐसी ज्यों सीप में मोती।।
चंचल मन पतंग सा डोले,
कृष्ण के संग संग ही मन होले।
केशर तिलक भाल पर साजे,
लट घुंघराले नागिन सम नाचें।।
मंद मंद मुस्कान मनोहर,
श्याम जन्म पर बाजे सोहर।
अंग अंग की छवि निराली,
लगे कामदेव से सौंदर्य चुराली।।
बाल रूप में वंदन इनका,
हरले कृष्ण जी तिमिर मन का।
कब से नैना देखें तुझको,
बिन देखें अब चैन न मुझको।।
     
प्रभु के विमल स्वरूप की अद्भुत हैं यूं बात।
प्रभु जी देखो दे रहे सूर्य चन्द्र को मात।।
प्रभु भक्ति के प्रताप से लिखें लेखनी बात,
प्रभु जी पर कुछ लिख सकूं मेरी क्या औकात ? 
       –
अमित पाठक शाकद्वीपी
बोकारो, झारखंड 

About Author

Leave a Reply

error: Content is protected !!