संस्कृत विश्वविद्यालयों में छात्रों के प्रवेश में बदलाव: नए नियम और उनका प्रभाव

– संस्कृत विश्वविद्यालयों में 12वीं कक्षा में संस्कृत के अभियान्त्रिक अध्ययन की आवश्यकता हटाई गई है।
– छात्रों को नव्य विषयों में प्रवेश मिलेगा, परन्तु प्राच्य विद्याओं में आधुनिक विषय के छात्रों के प्रवेश पर रोक बनी रहेगी।
– छात्र संख्या में घटाव देखा गया है, जिससे विश्वविद्यालयों के कई विभागों में छात्रों की कमी है।
– नए नियम के अनुसार, प्रथम वर्ष के सेमेस्टर में संस्कृत भाषा के पेपर को पास करना आवश्यक होगा।
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय ने शास्त्री-आचार्य के विभिन्न पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए 12वीं में संस्कृत विषय पढ़ने की बाध्यता समाप्त कर दी है। अब किसी भी बोर्ड के विद्यार्थी संस्कृत विश्वविद्यालय व महाविद्यालयों में प्रवेश लेकर शास्त्री-आचार्य की पढ़ाई कर सकेंगे।
इसके अतिरिक्त, नव्य व्याकरण, नव्य न्याय, और वेद जैसे प्राच्य विद्याओं में आधुनिक विषय के विद्यार्थियों के प्रवेश पर रोक बनी रहेगी। विश्वविद्यालय और इससे संबंधित कालेजों में छात्रों की संख्या लगातार घट रही है, बीते दो दशक में एक लाख से घटकर करीब 40,000 छात्र रह गए हैं। इस नए नियम के अनुसार, प्रथम वर्ष के प्रथम और द्वितीय सेमेस्टर में संस्कृत भाषा के पेपर को पास करना अनिवार्य होगा, जिसमें संधि, कारक, समास, और अनुवाद सहित संस्कृत की आधारभूत जानकारी शामिल होगी।