अयोध्या : राम मंदिर घूमने के बाद, करे इन खूबसूरत धार्मिक स्थलों के भी दर्शन

ऋषि वाल्मिकी जी ने अयोध्या की तुलना स्वर्ग से की है। विष्णु अवतार प्रभु राम जी के जन्म स्थान को राम जन्म भूमि के नाम से जाना जाता है, राम जी का अवतरण यहीं हुआ था।ऐसी मान्यता है की मनु ने राम जी की अयोध्या को बनाया था  राम की जन्मभूमि का स्थान अयोध्या शहर में सरयू नदी के तट पर है।  स्कंद पुराण के अनुसार अयोध्या नगरी भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र पर बसी हुई है । हमारे पौराणिक ग्रंथो में इस बात का ज़िक्र मिलता है कि अयोध्या का पुराना नाम कौशल देश था। प्राचीन काल से ही यह एक प्रमुख तीर्थस्थल और लोगों की आस्था का केंद्र रहा है। अयोध्या ही वह स्थान है जहाँ पर हमारे सबसे पवित्र और पौराणिक ग्रंथ-रामायण की रचना हुई हैअयोध्या आज भी राम जन्मभूमि और कई मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है जिन्हें देखने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। अगर आप भी राम जन्मभूमि अयोध्या जाने की योजना बना रहे हैं या यहां के ऐतिहासिक स्थलों के दर्शन करना चाहते हैं तो यह लेख आपके बहुत काम आएगा। इस लेख में हम आपको अयोध्या के प्रसिद्ध मंदिर पर्यटन स्थलों और आश्चर्यजनक परिदृश्यों के बारे में जानकारी प्रदान करेंगे।

1 – हनुमान गढ़ी Hanuman Garhi : –

भगवान हनुमान के प्रति भक्ति का प्रमाण यह मंदिर, अयोध्या रेलवे स्टेशन से मात्र एक किलोमीटर की दूरी पर सुविधाजनक रूप से स्थित है। विक्रमादित्य के संरक्षण में निर्मित, यह व्यापक रूप से माना जाता है कि हनुमान स्वयं इन पवित्र दीवारों के भीतर निवास करते हैं, और परिश्रमपूर्वक अयोध्या के पवित्र शहर की रक्षा करते हैं। मंदिर के शांत प्रांगण में, अपने युवा रूप में हनुमान का एक मनोरम चित्रण दर्शाया गया है, जो दिव्य अंजनी माता की गोद में कोमलता से लेटे हुए हैं। एक भव्य पर्वत के ऊपर स्थित, एक अद्भुत हनुमान मंदिर है, जिसे अवध के प्रसिद्ध नवाब द्वारा सावधानीपूर्वक तैयार किया गया था। इस पवित्र स्थान तक पहुंचने के लिए व्यक्ति को 76 सीढ़ियों की सुंदर उड़ान भरनी होती है। इसकी पवित्र दीवारों के भीतर भगवान राम की 6 इंच की मूर्ति है, जिसमें हनुमान और उनकी प्यारी मां का आकर्षक चित्रण है। यह दिव्य आश्रय हनुमान के भक्त अनुयायियों को आकर्षित करता है, जो न केवल आध्यात्मिक प्रतिबिंब के लिए एक अभयारण्य प्रदान करता है बल्कि आसपास के पहाड़ों का एक मनमोहक दृश्य भी प्रदान करता है। किंवदंती है कि तीर्थयात्री इस पूजनीय स्थल पर आते हैं, अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए उत्साहपूर्वक प्रार्थना करते हैं और अपने पापों का प्रायश्चित करने आते हैं।

2 – कनक भवन Kanak Bhavan : –

रामजन्मभूमि के उत्तरपूर्वी भाग में स्थित यह मंदिर अपनी कलाकृति के लिए प्रसिद्ध है। ऐसा माना जाता है कि माता कैकई ने यह भवन भगवान राम और देवी सीता को उनके निजी महल के रूप में उपहार में दिया था। इमारत को विक्रमादित्य के शासनकाल के दौरान डिजाइन किया गया था और वर्तमान स्थल को वृषभानु कुंवारी द्वारा पूरी तरह से नया डिजाइन दिया गया था।

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3 – नागेश्वर नाथ मंदिर Nageshwar Nath Temple :

भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर राम पैड़ी में स्थित है। माना जाता है कि इसका निर्माण भगवान राम के छोटे पुत्र कुश ने करवाया था। मान्यता के अनुसार एक बार सरयू नदी में स्नान करते समय कुश का बाजूबंद खो गया जो नाग कन्या द्वारा वापस दिया गया और नाग कन्या उन पर मोहित हो गई। नागकन्या शिवभक्त थी इसलिए कुश ने इस मंदिर का निर्माण उसके लिए करवाया। यह मंदिर राजा विक्रमादित्य के समय तक सही स्थिति में था। नवाव सफदरजंग के मंत्री नवल राय ने 1750 इसका विनिर्माण करवाया था। शिवरात्री के पर्व पर लाखों की संख्या में यहां श्रद्धालू और दर्शनार्थी आते हैं।

4 – राम की पैड़ी Ram ki Paidi : –

अयोध्या के दर्शनीय स्थल में से एक राम की पैड़ी सरयू नदी के किनारे सीढ़ियों वाला नया घाट है। यहां तीर्थयात्रियों और भक्तों की भारी भीड़ स्नान करती है। सन 1984-85 में इस घाट का निर्माण तत्कालीन मुख्यमंत्री श्रीपति मिश्रा और सिचाई मंत्री वीर बहादुर सिंह ने बनवाया था।

5 – तुलसी उद्यान Tulsi Udyan : –

तुलसी उद्यान रामचरित मानस के लेखक गोस्वामी तुलसीदास को समर्पित है। यह अयोध्या के राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है। पहले इस पार्क को विक्टोरिया पार्क के नाम से जाना जाता था क्योंकि इसमें रानी विक्टोरिया की मूर्ती थी। 1960 में तुलसी दास की मूर्ती स्थापित की गई और इसका नाम तुलसी उद्यान रखा गया।

6 – दशरथ महल Dashrath Mahal : –

हनुमान गढ़ी से 50 मीटर की दूरी पर स्थित दशरथ महल के बारे में यह माना जाता है कि इस भवन को ठीक उसी जगह पर बनाया गया है जहां उनका निवास स्थान था। बड़ा स्थान या बड़ी जगह के नाम से प्रसिद्ध दशरथ भवन में भगवान राम के भव्य मंदिर हैं।

7 – तुलसी स्मारक Tulsi Smarak : –

तुलसी स्मारक का निर्माण 16वी शताब्दी में महान कवि दार्शनिक गोस्वामी तुलसीदास जी की स्मृति में किया गया था जिन्होंने अवधी भाषा में रामचरितमानस का लेखन किया था। माना जाता है कि उन्होंने हनुमान चालीसा की भी रचना की थी। भवन में ‘अयोध्या शोध संस्थान’ अयोध्या अनुसंधान भी है। 1988 में संस्था में रामकथा संग्रहालय की स्थापना की गई थी।

8 – मणि पर्वत Mani Parvat : –

यह लगभग 65 फीट ऊँचाई वाला पर्वत कई मंदिरों का घर है। माना जाता है कि यह संजीवनी बूटी का एक हिस्सा है जिसे भगवान हनुमान ले गए थे। ऐसा कहा जाता है कि यह हनुमान से गिर गया  था जब लक्ष्मण को ठीक करने के लिए अपने हाथ में पहाड़ी को ले जा रहे थे।

9 – राम जन्मभूमि Ram Janmbhumi : –

महाकाव्य रामायण के अनुसार भगवान विष्णु के सातवें अवतार भगवान श्री राम का जन्म यहीं पर हुआ था। इस स्थान पर नियमित रूप से आना जाना लगा रहता है। रामनवमी (आमतौर पर मार्च/अप्रैल में पड़ती है) के दिन भगवान राम का जन्मदिन मनाया जाता है। उनके जन्मदिन के अवसर पर विभिन्न स्थानों से लोग यहां आते हैं। राम मंदिर का डिज़ाइन नागर शैली की वास्तुकला के अनुसार किया गया है। इसकी ऊंचाई 161 फीट, तीन मंजिल और पांच गुंबद होंगे। इसके अलावा, 360 खंभे 10 एकड़ भूमि में फैले पूरे मंदिर ढांचे को सहारा देंगे। और मंदिर परिसर 57 एकड़ भूमि में फैला हुआ है। मंदिर के मुख्य देवता विष्णु के अवतार राम लला विराजमान (राम का शिशु रूप) हैं।

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10 – सीता की रसोई Sita ki Rasoi : –

राम जन्मभूमि के उत्तर-पश्चिम में स्थित सीता की रसोई स्वयं देवी सीता द्वारा उपयोग की जाने वाली प्राचीन रसोई मानी जाती है। रामजन्मभूमि के काफी निकट यह पवित्र स्थान अब एक मंदिर है जिसमें कुछ प्रदर्शनी वाले वर्तन हैं।

11 – त्रेता के ठाकुर Treta ke Thakur : –

अयोध्या धाम के नया घाट पर स्थित त्रेता के ठाकुर मंदिर भगवान भगवान राम को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर को उस स्थान पर बनाया गया है जहां भगवान श्रीराम ने अश्वमेध यज्ञ का प्रदर्शन किया था। इस मंदिर के कपाट साल में एक बार कार्तिक शुक्ल एकादशी पर खुलते हैं। प्रसिद्ध अयोध्या के दर्शनीय स्थल में से एक यह मंदिर कालेराम-का-मंदिर नाम से भी जाना जाता है।

12 – बड़ी देवकली मंदिर Badi Devkali Temple : –

अयोध्या धाम से लगभग 5 किमी दूर पश्चिम-दक्षिण अयोध्या शहर में बड़ी देवकाली माता का मंदिर है जिन्हें भगवान राम की कुलदेवी कहा जाता है। देवी का भागवत में वर्णन है और पौराणिक कथाओं के अनुसार यह यह मंदिर श्री राम के पूर्वज महराज रघु ने बनवाया था। राम के जन्म के बाद उनकी माँ कौशल्या देवी के दर्शन करने आई थी। तभी से किसी के घर में बच्चा पैदा होने के बाद देवी के दर्शन करने की परंपरा मानी जाती है।

अयोध्या कैसे पंहुचा जाये 

वायुयान द्वारा:  गोरखपुर , प्रयागराज और वाराणसी हवाई अड्डे से भी यहाँ पंहुचा जा सकता है|

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने  नवनिर्मित अयोध्या हवाई अड्डे का उद्घाटन किया। हवाई अड्डे का नाम महर्षि वाल्मिकी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा रखा गया है।अत्याधुनिक हवाई अड्डे के चरण 1 को 1450 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से विकसित किया गया है। हवाई अड्डे के टर्मिनल भवन का क्षेत्रफल 6500 वर्गमीटर होगा, जो सालाना लगभग 10 लाख यात्रियों की सेवा के लिए सुसज्जित होगा। टर्मिनल बिल्डिंग का अग्रभाग अयोध्या के आगामी श्री राम मंदिर की मंदिर वास्तुकला को दर्शाता है। टर्मिनल बिल्डिंग के अंदरूनी हिस्सों को भगवान श्री राम के जीवन को दर्शाने वाली स्थानीय कला, पेंटिंग और भित्तिचित्रों से सजाया गया है। अयोध्या हवाई अड्डे का टर्मिनल भवन विभिन्न स्थिरता सुविधाओं से सुसज्जित है जैसे कि इन्सुलेशन छत प्रणाली, एलईडी प्रकाश व्यवस्था, वर्षा जल संचयन, फव्वारे के साथ भूनिर्माण, जल उपचार संयंत्र, सीवेज उपचार संयंत्र, सौर ऊर्जा संयंत्र और ऐसी कई अन्य सुविधाएं प्रदान की गई हैं गृह – 5 स्टार रेटिंग।

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रेल द्वारा:  अयोध्या जिले के प्रमुख रेलवे स्टेशन लगभग सभी प्रमुख महानगरों एवं नगरों से भलि-भांति जुड़े हैं। अयोध्या रेल मार्ग द्वारा लखनऊ से 128 कि.मी., गोरखपुर से 171 कि.मी., प्रयागराज से 157 कि.मी. एवं वाराणासी से 196 कि.मी. है। अयोध्या रेल मार्ग द्वारा लखनऊ से 135 कि.मी., गोरखपुर से 164 कि.मी., प्रयागराज से 164 कि.मी. एवं वाराणासी से 189 कि.मी. है।

सड़क द्वारा: उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की सेवा 24 घंटे उपलब्ध हैं, और सभी छोटे बड़े स्थान से यहां पहुंचना बहुत आसान है। जनपद अयोध्या प्रदेश के प्रमुख शहरों जैसे  लखनऊ से लगभग 130 किलोमीटर दूर  ,वाराणसी से 200 कि.मी. ,प्रयागराज से 160 किलोमीटर,  गोरखपुर से 140 किलोमीटर दूर  और दिल्ली से लगभग 636 किलोमीटर।  लखनऊ, दिल्ली और गोरखपुर से अयोध्या को बसें आसानी से उपलब्ध हैं।

बस से अयोध्या कैसे पहुंचे?

अयोध्या का निकटतम बस स्टैंड फैजाबाद बस स्टैंड है, जहां यूपीएसआरटीसी (उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम) की बसें दैनिक आधार पर लखनऊ, गोरखपुर, इलाहाबाद और उत्तर प्रदेश के अन्य प्रमुख शहरों के लिए चलती हैं। फैजाबाद बस स्टैंड से रेलवे स्टेशन तक साइकिल रिक्शा आसानी से उपलब्ध है और इसकी कीमत लगभग 30 रुपये है।

अयोध्या में स्थानीय परिवहन

अयोध्या के भीतर यात्रा के लिए टैक्सी, बस, टेम्पो, तांगा, रिक्शा सहित परिवहन के कई साधन उपलब्ध हैं। चूँकि यह एक छोटा शहर है, इसलिए यात्रा का सबसे सुविधाजनक साधन रिक्शा और ऑटो-रिक्शा (टेम्पो) हैं।

इन शहरों से अयोध्या की दूरी

लखनऊ से 130 किलोमीटर

वाराणसी से 200 किलोमीटर

इलाहाबाद से 160 किलोमीटर

गोरखपुर से 140 किलोमीटर

दिल्ली से 636 किलोमीटर.

भ्रमण के लिए सबसे अच्छा समय

अयोध्या कभी भी घुमा जा सकता है। यहाँ का मौसम घूमने के लिहाज़ से पूरे साल अच्छा रहता है लेकिन किसी धार्मिक आयोजन अथवा उत्सव के दौरान यहाँ आएँगे तो आपको इस जगह की एक अलग ही रौनक़ देखने को मिलेगी। ठंडियों में इस जगह पर कई सारे धार्मिक अनुष्ठान होते हैं इसलिए अक्टूबर से लेकर जनवरी तक अच्छी ख़ासी रौनक़ देखने को मिलती है।

Piyush Mishra

Assistant Professor

United Institute of Management

Prayagraj 211001

 

 

 

 

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