मिशन मुस्कान – भिखारी मुक्त भारत आंदोलन

भिक्षावृति में लिप्त नन्हें हाथों में कलम पकड़ा कर बदलाव लाने की ज़िद!

“जो बच्चे कभी रेलवे स्टेशन पर घूमते हुए भीख मांगते नजर आते थे। नशावृति और बाल अपराधों में जकड़े हुए थे, वे आज सबसे पहले ईश्वर की प्रार्थना करते हैं। किताबों में अपने सपनों के रंग भरते हैं “

शिकायत का हिस्सा तो हर बार बनते हैं, एक बार निवारण का हिस्सा भी बनते हैं।

यह पंक्ति उत्तर प्रदेश के गोरखपुर की चेतना पाण्डेय पर सटीक बैठती है, जिन्होंने समाज में बदलाव लाने के लिए खुद शुरुआत की, न कि सरकार या प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया। अपनी टीम के जरिये उन्होंने छोटी-छोटी कोशिशों से गरीब एवं स्लम्स में रहने वाले बच्चों के जीवन में बदलाव लाने का काम किया।

जो बच्चे कभी रेलवे स्टेशन पर घूमते हुए भीख मांगते नजर आते थे। नशावृति और बाल अपराधों में जकड़े हुए थे, वे आज सबसे पहले ईश्वर की प्रार्थना करते हैं। किताबों में अपने सपनों के रंग भरते हैं। खेलते-कूदते अंक ज्ञान के साथ ही नन्हे बच्चे बेसिक शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।

चेतना पाण्डेय कहती है की अपने बच्चों को सिर्फ किताबी शिक्षा नहीं बल्कि सामाजिक शिक्षा भी दीजिये। तीन साल पहले रेलवे क्रॉसिंग पर मुझे एक बच्ची भीख मांगती हुई नज़र आई, पहले मैंने उस पर ध्यान नहीं दिया। लेकिन उसके ज्यादा आग्रह करने पर मैं उससे बात करने के लिए राज़ी हो गया। उससे बातचीत में पता चला कि उसकी माँ नहीं हैं और पिता शराब के नशे में डूबे रहते हैं और वो उससे भीख मांगने के लिए मजबूर करते है , भीख न मिलने पर मारते, पीटते है , मुझे यह बात झूठी प्रतीत हुई और मैंने उसे उसके घर ले चलने के लिए कहा।

“साहब! ऐसे कई लोग रोज़ यहाँ आते हैं, कुछ पैसे, खाना और कपड़े देकर फोटो खिंचवा कर चले जाते हैं। वे हमें मदद के लिए आश्वासन तो देते हैं लेकिन कुछ ही दिनों में गायब हो जाते हैं। अगर आप भी कुछ ऐसा ही करना चाहते हैं तो कृपया करके हमारी मदद मत कीजिए।”  बस्ती के लोगों ने कहा।

लोगों की इस बात ने चेतना को झकझोर दिया और देश में 62 लाख से ज्यादा एनजीओ और सामाजिक संस्थाओं की कार्यशैली पर सवाल खड़ा कर दिया। वे सोचने लगे कि उत्सवों एवं कुछ विशेष दिनों पर सेल्फी के लिए स्लम्स का दौरा ज़रूर किया जाता है।

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लोग अगले दिन अखबार में अपनी फोटो देखकर खुश हो जाते हैं लेकिन स्लम्स के बच्चों की डबडबाई आँखे मदद को तरस जाती हैं। उसी दिन से चेनता ने उस स्थान को भिखारी मुक्त करने का और उन बच्चों को शिक्षा प्रदान करने और करवाने का प्रण किया कि वे अब इन बच्चों को जागरूक करेंगी उनके परिवार को समझाएगी ताकि भिक्षावृति पर रोक लग सकें और उन बच्चो का भविष्य उज्व्व्ल हो सके ।

चेतना के साथ इस नेक काम में दीपक, प्रियंका मिश्रा, विजय, अजय दुबे, सीमा तिवारी, और गौरव समेत दर्जनों नेक दिन इंसान शामिल है। इन युवाओं की टीम ही ‘मिशन मुस्कान’ को आगे बढ़ा रही हैं।

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