सावधान! नशे से भी खतरनाक है PUBG जैसे मोबाइल गेम की लत

एम के निल्को, जयपुर | मोबाइल और इंटरनेट की दुनिया ने हमें कई सहूलियतें दी, जीवन जीने को आसान बनाया, लेकिन इसी टेक्नोलॉजी का एक दूसरा पहलू भी है जो बेहद गंभीर, खतरनाक और जानलेवा साबित हो रहा है। पबजी जैसे मोबाइल गेम के बढ़ते ट्रेंड के कारण कई खतरनाक परिणाम सामने आ रहे हैं। मसलन, यूपी के देवरिया जिले के लार थाने इलाके में एक चौंका देने वाला मामला सामने आया है, जहां एक युवक ने मोबाइल गेम के कारण अपने ही दादा को फ़साने के लिए एक बच्चे का अपहरण कर हत्या कर देता हैं। छत्तीसगढ़ में 12 साल के बच्चे ने ऑनलाइन गेम अपग्रेड करने के लिए 3 महीनों में 278 बार 3.22 लाख रुपए का ट्रांजैक्शन किया। पहले यह मामला ऑनलाइन ठगी का माना जा रहा था लेकिन जब जांच की गई तो पता चला कि ऑनलाइन गेमिंग का मामला निकला। गुजरात के वडोदरा में मोबाइल में पबजी गेम खेलने से मना करने पर माता-पिता से नाराज होकर कॉलेज का छात्र घर छोड़कर चला गया। दिल्ली के वसंतपुर क्षेत्र में कुछ महीनों पहले ही पबजी गेम खेलने से मना करने पर एक बेटे ने अपने मां-बाप की हत्या कर दी थी। ऐसे कई केस है जहां मोबाइल और ऑनलाइन गेम की लत ने मासूमों की जान ले ली है।


नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंस का कहना है कि –  हमने लगभग 120 से ज्यादा मामले रिपोर्ट किए, जिनमें बच्चों के मेंटल हेल्थ पर PUBG और अन्य मोबाइल गेम का विपरीत प्रभाव देखने को मिला। दुनियाभर में 400 मिलियन बच्चे व युवा ऐसे मोबाइल गेम को हर दिन खेल रहे हैं जबकि भारत में इनकी संख्या करीब 5 करोड़ अनुमानित है। इस गेम की लत ड्रग्स की लत से भी ज्यादा चिंता वाली है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपने नए अध्याय में मोबाइल गेम की लत को भी मनोरोग की श्रेणी में रखा है।

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PUBG जैसे मोबाइल गेम दुनियाभर के कई प्लेयर्स के साथ खेलते है और सबके टाइम जोन अलग-अलग होते हैं जिस वजह से भारत में ऐसे गेम को खेलने वाले ज्यादातर लोग रात में जागकर यह गेम खेलते रहते हैं जिस वजह से उन्हें सिर्फ नींद ही नहीं बल्कि स्वास्थ्य से जुड़ी दूसरी कई समस्याएं भी शुरू हो जाती हैं।

राजस्थान के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल सवाई मान सिंह अस्पताल, जयपुर के सीनियर मनोचिकित्सक डॉ अनिल ताम्बी का कहना है कि – नींद पूरी न होने से ब्लड प्रेशर और डायबीटीज का खतरा सबसे पहले बन जाता हैं वहीँ पर्याप्त नींद न लेने से एक्रागता की कमी और कमजोर याददाश्त की शिकायत सामने आने लगती हैं गेम में हिंसा दिखाई जाती है और हथियारों का इस्तेमाल होता है जिससे बच्चों के स्वभाव में चिड़चिड़ापन बढ़ जाता है।

पबजी जैसे मोबाइल और ऑनलाइन गेम की बढ़ती नकारात्मक को देखते हुए सरकार द्वारा कई सारे गेम पर रोक लगा दी गई थी लेकिन नाम बदल बदल कर रोज नए गेम वापिस आ जाते हैं। चीन जैसे देशों में ऐसे गेम पर पहले से ही रोक है।


ये सही है कि आज के टेक्नोलॉजी युग में बच्चों को मोबाइल और कम्प्यूटर से दूर रखना उनके भविष्य के लिए ठीक नहीं है लेकिन यह कौन ध्यान रखेगा कि आपके बच्चे इन चीजों का कितना और किस तरह उपयोग कर रहे हैं? समस्या का असल समाधान तो बच्चों में मैदानी खेलों के प्रति आकर्षण पैदा करने और देश में खेल-संस्कृति विकसित करने से ही होगा। और ये तभी संभव है, जब अभिभावक और सरकार दोनों इस समस्या पर गंभीरता से सोचना शुरू करें।

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हालाकिं छोटी-छोटी बातों का ध्यान रख कर अनहोनी होने से कुछ हद तक रोक सकते हैं –

  1. बच्चों के ऑनलाइन क्लासेज की टाइमिंग आपको पता होनी चाहिए, क्लासेज के बाद भी बच्चा लगातार मोबाइल पर लगा है तो उसे मोबाइल से दूर करने के लिए किसी बहाने दूसरे काम में उलझाएं ।
  2. डिजिटल डिटॉक्स के जरिए जाने क्या वाकई ये मोबाइल एडिक्शन है, जरूरी नहीं कि बच्चे को मोबाइल पर गेम का ही चस्का हो वो दिन भर कार्टून या फिल्में भी देखता हो इसलिए जरूरी है कि बच्चे को दिन में 4 से 5 घंटे बिना मोबाइल के रखें अगर वो रह जाता है तो उसे एडिक्शन नहीं है । अगर नहीं रह पाता मतलब उसे लत लग चुकी है आप उसके प्रति सजग हो जाएं ।
  3. बच्चे के साथ डांट डपट या मारपीट ना करे ऐसा करने से वो और जिद्दी और हिंसक हो जाएगा, यहां आपको कूल रहकर उसके साथ पेश आना होगा । क्योंकि मोबाइल और उसके गेम्स की लत ऐसी होती है कि बच्चे की पूरी दुनिया ही मोबाइल हो जाती है, जो उसमें रोक टोक करता है बच्चा उसे अपना दुश्मन समझने लगता है । इसलिए यहां मां बाप को प्यार से बच्चों से डील करना होता है उसे प्यार से मोबाइल गेम्स से होनेवाले नुकसान के बारे में बताएं।
  4. मां बाप भी घर पर मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल ना करें, बच्चा भी वही सीखता है जो आप करते हैं ज्यादातर मां बाप भी घर पर फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर या व्हाट्सएप पर व्यस्त रहते हैं ऐसे में बच्चों को मोबाइल देखने से टोकने पर वो तपाक से कहते हैं कि आप भी तो दिन भर मोबाइल में लगे रहते हो, इसलिए मां बाप को भी चाहिए कि फैमिली टाइम में मोबाइल की दखलंदाजी ना हो ।
  5. बच्चों से दोस्त बन कर उनसे अपनी कुछ यादें पुराने किस्से शेयर करें, संयुक्त परिवार में फिर भी बच्चे के साथ समय देने के लिए कई लोग मिल जाते हैं ।
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एक बात हमेशा याद रखें लत कोई भी हो तुरंत नहीं जाती , धीरे धीरे ही जाती है बस इनसे निपटने का एक ही तरीका है प्यार, धैर्य और समझदारी…


 

 

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