आगरा में करणी सेना का उग्र प्रदर्शन, पुलिस से भिड़ंत, अखिलेश ने BJP को लिया आड़े हाथों

आगरा, 12 अप्रैल 2025: उत्तर प्रदेश के आगरा में शनिवार को करणी सेना के ‘रक्त स्वाभिमान सम्मेलन’ ने शहर में हंगामे की स्थिति पैदा कर दी। राणा सांगा जयंती के मौके पर आयोजित इस कार्यक्रम में करणी सेना के हजारों कार्यकर्ता गढ़ी रामी में एकत्र हुए। स्थिति तब बिगड़ गई जब कार्यकर्ताओं ने पुलिस को घेर लिया और तलवारें व डंडे लहराते हुए नारेबाजी की। पुलिस को हालात नियंत्रित करने के लिए पीछे हटना पड़ा, जिससे तनाव और बढ़ गया। प्रदर्शन के दौरान करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने समाजवादी पार्टी (सपा) के राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। सूत्रों के अनुसार, यह प्रदर्शन सुमन के राणा सांगा पर दिए गए विवादित बयान के विरोध में था, जिसमें उन्होंने राणा सांगा को ‘गद्दार’ करार दिया था। पुलिस ने सभा स्थल पर पहुंचकर स्थिति को संभालने की कोशिश की, लेकिन कार्यकर्ताओं ने पुलिस के खिलाफ भी नारे लगाए और उन्हें परिसर से बाहर निकाल दिया।

इस घटना पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने इटावा में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा, “यह करणी सेना-वेना सब नकली है। ये सब भाजपाई हैं। अगर कोई हमारे रामजी लाल सुमन का अपमान करेगा, तो हम उनके साथ खड़े दिखाई देंगे।” अखिलेश ने आरोप लगाया कि भाजपा इस तरह की घटनाओं को प्रायोजित कर सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश कर रही है। पुलिस प्रशासन ने इस प्रदर्शन को देखते हुए पहले से ही सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे। सभा स्थल से लेकर सांसद रामजी लाल सुमन के आवास तक भारी पुलिस बल तैनात किया गया था। रैपिड एक्शन फोर्स (RAF), PAC और स्थानीय पुलिस के जवानों ने पूरे क्षेत्र को छावनी में तब्दील कर दिया। इसके बावजूद, कार्यकर्ताओं की उग्रता ने कानून-व्यवस्था के लिए चुनौती खड़ी कर दी।यह पहली बार नहीं है जब करणी सेना ने आगरा में हंगामा किया हो। इससे पहले 26 मार्च को भी सेना के कार्यकर्ताओं ने सुमन के आवास पर हमला कर तोड़फोड़ की थी, जिसमें कई पुलिसकर्मी घायल हो गए थे। उस घटना के बाद दो FIR दर्ज की गई थीं, और कुछ कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया था।

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इस घटना ने उत्तर प्रदेश की सियासत को और गरमा दिया है। जहां एक ओर भाजपा पर सपा सांसद के बयान को तूल देने का आरोप लग रहा है, वहीं करणी सेना का कहना है कि वे क्षत्रिय समाज के सम्मान की लड़ाई लड़ रहे हैं। इस बीच, अखिलेश यादव ने इस मुद्दे को दलित बनाम क्षत्रिय की राजनीति से जोड़ते हुए भाजपा पर सामाजिक ध्रुवीकरण का आरोप लगाया है।आगरा में करणी सेना का यह प्रदर्शन न केवल कानून-व्यवस्था के लिए चुनौती बना हुआ है, बल्कि यह 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले यूपी की सियासत में नए समीकरण भी बना सकता है। प्रशासन ने किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए कमर कस ली है, और पुलिस ने सोशल मीडिया पर भी कड़ी नजर रखने की बात कही है।

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