ज्ञानवापी में मां श्रृंगार गौरी के दर्शन शुरू: भक्तों का सैलाब, सुरक्षा कड़ी

वाराणसी, 2 अप्रैल 2025: चैत्र नवरात्रि की चतुर्थी तिथि पर आज वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर में स्थित मां श्रृंगार गौरी मंदिर को भक्तों के लिए खोल दिया गया। साल में एक बार होने वाले इस विशेष अवसर पर दर्शन के लिए सुबह से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। मंदिर के आसपास सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं, जगह-जगह पुलिस फोर्स और बैरिकेडिंग देखी जा सकती है। इस दौरान हिंदू पक्ष के अधिवक्ता विष्णुशंकर जैन ने भी मां के दर्शन किए और कहा, “हमने मां से प्रार्थना की है कि कोर्ट में हमारी जीत हो और जल्द ही मंदिर पूरी तरह मुक्त हो।”
सुबह 8:30 बजे से सत्यनारायण मंदिर और विश्वनाथ मंदिर के गेट नंबर 4-बी से भक्तों की एंट्री शुरू हुई। ज्ञानवापी मुक्ति महापरिषद के बैनर तले श्रद्धालुओं का जत्था गंगा जल लेकर मंदिर पहुंचा। “हर-हर महादेव” और “मां श्रृंगार गौरी मुक्त करो” के नारे गूंजते रहे। पूजा-अर्चन के दौरान मंदिर के प्राचीन पत्थरों पर सिंदूर और चंदन लगाया गया। प्रशासन ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त फोर्स तैनात की, ताकि दर्शन सुगमता से हो सके।
ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी केस में हिंदू पक्ष के प्रमुख अधिवक्ता विष्णुशंकर जैन ने दर्शन के बाद कहा, “मां श्रृंगार गौरी के चरणों में प्रार्थना की है कि कोर्ट में चल रहा हमारा संघर्ष सफल हो। बाबा विश्वनाथ और मां के मूल स्थान पर हमें पूजा का अधिकार मिले। ASI सर्वे पूरा हो और मंदिर का भव्य स्वरूप फिर से स्थापित हो।” उन्होंने यह भी कहा कि यह दिन भक्तों के लिए ऐतिहासिक है और आने वाला समय और बड़ी जीत लेकर आएगा।
ज्ञानवापी परिसर में मां श्रृंगार गौरी का मंदिर साल में सिर्फ एक बार चैत्र नवरात्रि की चतुर्थी को खुलता है। 1992 तक यहां नियमित पूजा होती थी, लेकिन अयोध्या बाबरी विध्वंस के बाद सुरक्षा कारणों से इसे प्रतिबंधित कर दिया गया। 18 अगस्त 2021 को पांच महिलाओं ने वाराणसी कोर्ट में नियमित दर्शन-पूजन की मांग को लेकर वाद दायर किया, जो अभी भी चल रहा है। आज का दिन भक्तों के लिए आस्था और उम्मीद का प्रतीक बन गया है।
दर्शन के दौरान लगे नारे और भक्ति का माहौल सोशल मीडिया पर छाया हुआ है। कई लोगों ने इसे “ज्ञानवापी मुक्ति की ओर पहला कदम” करार दिया। हालांकि, कुछ ने शांति बनाए रखने की अपील भी की। यह मामला अब सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक और कानूनी बहस का केंद्र बन चुका है।
आज का दृश्य वाराणसी में आस्था और संघर्ष की एक अनोखी तस्वीर पेश कर रहा है, जहां भक्तों की भीड़ मां के दर्शन के साथ-साथ अपने हक की लड़ाई को भी याद कर रही है।