मामा और मामी – (अनुप्रास अलंकार)

मामा को मामी मिली,
लगी मुकुल कलिका खिली ,
मस्तानी-सी कहीं अकेली ,
मगर थोड़ी -सी शर्मीली,
मृदु ह्रदय की  बनी अच्छी सहेली I

मामा और मामी बड़े सयाने ,
मामा है मामी के दिवाने
मस्त मूवी देखी, कई बार
मचले दिल, आइसक्रीम खाई बार- बार I

मन में प्रेम जगा अचानक,
मयूर बन  मामा नाचे रोमांचक ,
मोरनी बन, मामी चली एकटक ,
मुस्कुराकर  देख रहे थे अपलक I

मंदिर गए पूजा किए भर आदर ,
माता को माला चढ़ाये गीत गाकर,
मन से वर माँगा सर झुकाकर,
मिटे शिकवे, रहे  मोती-धागे से मिलकर  I

वर्षा शिवंशिका
कुवैत

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